
नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने जिला पंचायत अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव प्रकरण की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग से कड़े सवाल पूछे हैं। कोर्ट ने जानना चाहा कि उन पांच जिला पंचायत सदस्यों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है, जिन्होंने मतदान न करने का कोई कारण नहीं बताया।
कोर्ट में हुई बहस
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जिला पंचायत अध्यक्ष/उपाध्यक्ष निर्वाचन एवं विवाद निवारण नियमावली 1994 की हैंडबुक प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि ऑब्जर्वर की ओर से दो रिपोर्ट दी गई थीं। रिपोर्ट में कहा गया कि मतदान केंद्र से 100 मीटर दायरे में किसी तरह की गड़बड़ी या हिंसा नहीं हुई। इसके आधार पर आयोग ने पूरा मामला जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम) को निस्तारण के लिए भेजा था।
अलग-अलग पक्षों की दलील
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याची के अधिवक्ता का तर्क: मतदान केंद्र से एक किलोमीटर तक नियम सख्ती से लागू होने चाहिए।
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दीपा दरमवाल (नवनिर्वाचित अध्यक्ष) के अधिवक्ता का कहना: ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि 500 मीटर के दायरे में कोई अव्यवस्था नहीं हुई।
डीएम की पेशी और कोर्ट का आदेश
नैनीताल डीएम वंदना ने वर्चुअल पेशी के दौरान बताया कि चुनाव के दिन एसएसपी की स्टेटस रिपोर्ट उन्होंने उसी दिन चुनाव आयोग को भेज दी थी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि मतदान दिवस की घटनाओं को लेकर अधिकारियों को क्या निर्देश दिए गए और क्या एक्शन लिया गया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि आयोग सोमवार को अपना पक्ष रखते हुए शपथपत्र (एफिडेविट) दाखिल करे।