देहरादून: इन दिनों नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर दिल्ली में पूर्व सीएम हरीश रावत, पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह डटे हुए हैं लेकिन, अभी तक नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर कोई राय नहीं बन पाई है. इस बीच भाजपा के नवनियुक्त सीएम पुष्कर धामी को हरदा ने भविष्य की चुनौतियों की याद दिलाने की बात कही है. कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए उन नेताओं को खट्टे अंगूर बताते हुए हरीश रावत ने कहा कि कोई भी पार्टी उनको अपने साथ जोड़ने में हिचकिचाएगी और यह सबक भाजपा के लिए भी है.
हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि मैंने नए मुख्यमंत्री के सम्मुख रखा है कि उनके सामने क्या-क्या चुनौतियां आने वाली हैं और भाजपा ने बीते कुछ वर्षों के भीतर कितने गंभीर सवाल उत्तराखंड में खड़े कर दिए हैं. क्योंकि मेरा मानना है कि बगैर चुनौतियों की याद दिलाए मेरी शुभकामनाएं अधूरी होतीं.
हरदा ने कांग्रेस कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटनाक्रम के कुछ नायक सन 2000 में भी थे और कांग्रेस की जीत के बाद उनकी महत्वाकांक्षाएं परवान चढ़ गईं. उनमें से एक-आध व्यक्ति तो अब हमारे बीच नहीं हैं. उन्हें जब लगा कि सामान्य स्थिति में पार्टी नेतृत्व हरीश रावत को ही मुख्यमंत्री चयनित करेगा, तो उन्होंने एक नया पैंतरा चला. इन्होंने नारायण दत्त तिवारी के मन में मुख्यमंत्री बनने की एक लालसा पैदा कर दी. ऐसे में तिवारी जी ने सोनिया गांधी को अपनी इच्छा बताई.
साथ ही पार्टी अध्यक्ष के निर्णय को मैंने और मेरे साथियों ने दिल पर पत्थर रखकर स्वीकार किया. 5 साल निर्बाध रूप से तिवारी जी की सरकार चली. हरीश रावत ने प्रदेश में कांग्रेस कार्यकाल के दौरान हुए राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए अपने विरोधियों को भी निशाने पर लिया है. 2012 में हमारे दोस्त जिनके हाथ में बागडोर थी, वह अपने क्षेत्रों में चुनाव का संचालन कर रहे थे.हरीश रावत ने आगे लिखा कि मैं राज्यभर में चुनाव का संचालन कर रहा था. वो बिना इच्छा व्यक्त किये कि मुझे भी कहीं से चुनाव लड़ना है. उस दौरान दोनों बार के निर्णय को देखते हुए गुलाम नबी ने मुझे 24 कैरेट का सोना बताया. दूसरी बार भी जब उन्होंने यह टिप्पणी की तो मुझे आखिरकार कहना पड़ा कि आजाद साहब 24 कैरेट के सोने में भी एकाध कैरेट तांबा मिलाना पड़ता है. शायद मेरी यही गलती रही इसलिए इस चौबीस कैरेट के सोने को आप लोगों ने इस काबिल नहीं समझा कि उसको मुख्यमंत्री पद दिया जाए.क्योंकि, मेरे लंबे सार्वजनिक जीवन और संसदीय जीवन को एक तरफ रख कर नए आए व्यक्ति को दायित्व सौंप दिया गया. इसके बाद पार्टी ने फिर से चुनौतीपूर्ण स्थितियों को देखते हुए मुझे मुख्यमंत्री बनाया. उसके बाद आज की कहानी के कुछ नायकों ने उस समय भी कुछ खटर-पटर खड़ी की. मैंने तब उनसे कहा था कि कुछ नहीं तो मुझसे एक बात सीखो कि अपने स्थान पर रहो, लेकिन कई लोग बहुत जल्दी में थे और दलबदल हो गया, जिसमें से एक व्यक्ति का मुझे बहुत दु:ख है. लेकिन यदि वह कांग्रेस में रहते तो मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस एक दिन उनको जरूर मुख्यमंत्री बनाती.
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए नेताओं को खट्टे अंगूर कहकर परिभाषित किया है, उन्होंने कहा कि यूं तो मैंने मजाक में कह दिया था कि खट्टे अंगूर, लेकिन कुछ लोगों के लिए वास्तव में अब खट्टे अंगूर हो गए हैं. क्योंकि, इन्हें कोई भी पार्टी अपने साथ जोड़ने में हिचकिचायेगी और यहां एक सबक भाजपा के लिए भी है कि जिसकी जैसी करनी उसकी वैसी भरनी.