देहरादून। बीते दिनों राजधानी देहरादून में आई आपदा ने कई लोगों की जिंदगी तबाह कर दी। कई लोग अपने अपनों को हमेशा के लिए खो गए, तो कुछ के सिर से छत भी छीन गई। ऐसे में पीड़ितों के सामने अब यह संकट खड़ा हो गया है कि वह कहां और कैसे अपने जीवन का गुजारा करेंगे।

ऐसी ही दुखद कहानी सहस्त्रधारा क्षेत्र की 16 वर्षीय पूजा की है। चार साल की उम्र में उनके पिता का देहांत हो गया था, वहीं उससे पहले उनकी मां ने भी साथ छोड़ दिया था। इसके बाद वह अपने तीन भाइयों के साथ पिता द्वारा छोड़े गए छोटे से घर में रह रही थी। लेकिन हाल ही में आई आपदा ने उस घर को भी जमींदोज कर दिया।
जानकारी के अनुसार, सहस्त्रधारा में बादल फटने की घटना ने सब कुछ एक झटके में तबाह कर दिया। कई लोग बेघर हुए और कुछ अपने परिवार से हमेशा के लिए बिछड़ गए। पूजा भी इस आपदा में अपने घर से बेघर हो गई। उस रात वह अपनी जान बचाकर बाहर भागी और रातभर जंगल और जख्मी पहाड़ों के रास्तों से गुजरते हुए राहत कैंप पहुंची।
अपना दर्द बयां करते हुए पूजा की आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि उनके भाई मजदूरी करके परिवार का गुजारा कर रहे थे। वह पढ़ाई भी कर रही थी, लेकिन अब आपदा के बाद स्कूल जाना मुश्किल हो गया है। जीवन तो आपदा में बचेगी, लेकिन इसके बाद सामने आई कठिन परिस्थितियों ने उनकी जिंदगी को और विकट बना दिया है।