कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर लगे बैन को हटाया जा सकता है। बता दें कि एमनेस्टी इंडिया ने कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने पर भाजपा सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों में लगाए हिजाब बैन को हटाने की मांग की थी। अब इसे लेकर सरकार के मंत्री प्रियांक खरगे ने बड़ी बात कही है और कहा है कि आदेश की समीक्षा की जाएगी।
कर्नाटक सरकार के मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने एमनेस्टी इंडिया की मांग पर कहा कि ‘हम इसे लेकर बिल्कुल साफ हैं कि ऐसे हर आदेश और बिल की समीक्षा की जाएगी जो कर्नाटक की आर्थिक नीतियों को प्रतिगामी बनाता हो, जो बिल राज्य की छवि को धूमिल करे या फिर राज्य की आर्थिक नीतियों में उसका कोई इस्तेमाल ना हो, जो बिल किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन करता हो और असंवैधानिक हो, उन सभी की समीक्षा की जाएगी और जरूरत हुई तो उन्हें खारिज किया जाएगा।’
कांग्रेस ने चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में पीएफआई के साथ ही बजरंग दल पर भी बैन लगाने की बात कही थी। जब आरएसएस को लेकर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘जो भी संगठन, फिर चाहे वो धार्मिक हो या फिर राजनीतिक और सामाजिक, वह समाज में नफरत फैलाने या समाज को बांटने की कोशिश करेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम ऐसे संगठनों को कानूनी और संवैधानिक तरीके से निपटेंगे। फिर चाहे वो बजरंग दल हो, पीएफआई या फिर कोई अन्य संगठन। अगर वह कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनते हैं तो हम उन पर प्रतिबंध लगाने से नहीं हिचकेंगे।’
बता दें कि कर्नाटक में भाजपा सरकार के दौरान राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसे लेकर कर्नाटक समेत पूरे देश की सियासत में उबाल आ गया था और काफी हंगामा हुआ था। हालांकि भाजपा सरकार अपने फैसले पर अडिग रही और उसने राज्य के शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं के ड्रेस कोड में ही स्कूल कॉलेज आने की बात कही। बीते दिनों जब राज्य में कांग्रेस को बंपर जीत मिली तो एमनेस्टी इंडिया ने महिलाओं के हिजाब पर लगे बैन को हटाने की अपील की थी। साथ ही कर्नाटक प्रिवेंशन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ कैटल एक्ट 2020 के साथ ही कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल 2022 को भी हटाने की मांग की।
गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी पूर्व की भाजपा सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के फैसले को सही ठहराया था। अब अगर कांग्रेस सरकार बैन को हटाने का फैसला करती है तो इसे लेकर फिर से राजनीति गरमा सकती है।