
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बीजेपी के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का एक बयान विवादों में आ गया है। उन्होंने कहा कि अगर पर्यटकों ने आतंकियों का सामना किया होता, तो इतनी बड़ी संख्या में जानें नहीं जातीं। साथ ही उन्होंने पीड़ितों की पत्नियों को लेकर कहा कि उनमें वीरांगनाओं जैसा साहस नहीं था, जो विरोध कर पातीं।
क्या बोले सांसद जांगड़ा?
एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान रामचंद्र जांगड़ा ने कहा:
“अगर हमारे देशवासियों को वह आत्मरक्षा की ट्रेनिंग मिली होती, जो प्रधानमंत्री मोदी देश को देना चाहते हैं, तो तीन आतंकवादी 26 लोगों की जान नहीं ले सकते थे। हमारे पर्यटक हाथ जोड़कर खड़े रहे, जबकि हमलावरों के पास कोई दया नहीं थी। अगर हाथ में डंडा या लाठी भी होती और हमला किया जाता, तो शायद कुछ लोग ही मरते और आतंकवादी भी मारे जाते।”
“वीरता का अभाव था”
सांसद यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा,
“जिन महिलाओं ने अपने पतियों को खोया, अगर उनमें रानी अहिल्याबाई जैसी वीरता होती, तो वे यूं खामोश खड़ी न रहतीं। वीरांगनाएं अपने पति को यूं मरते नहीं देखतीं, वे भी मुकाबला करतीं, भले ही शहीद हो जातीं। लेकिन वहां ऐसा कोई साहस या जज्बा देखने को नहीं मिला।”
इतिहास पढ़ाने की बात
जांगड़ा ने कहा कि देश में शौर्य और बलिदान की कहानियों को 2014 के बाद ही प्रमुखता से पढ़ाया जाने लगा है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हर नागरिक और विशेषकर महिलाएं, रानी लक्ष्मीबाई और अहिल्याबाई जैसी महिलाओं से प्रेरणा लें।
हमले की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन वैली (पहलगाम) में आतंकियों ने घात लगाकर 26 पर्यटकों की जान ले ली थी। इस हमले के बाद देश भर में गम और गुस्से का माहौल है। ऐसे समय में बीजेपी सांसद के बयान को असंवेदनशील बताया जा रहा है।