
पंजाब के फिरोज़पुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मां और उसके बेटे ने फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए भारतीय वायुसेना की रणनीतिक हवाई पट्टी को ही बेच डाला। यह ज़मीन पाकिस्तान बॉर्डर से सटे फत्तूवाला गांव में स्थित है और इसका इस्तेमाल 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में वायुसेना की लैंडिंग ग्राउंड के तौर पर किया गया था।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
डुमनी वाला गांव की रहने वाली उषा अंसल और उसके बेटे नवीन चंद ने साल 1997 में इस ज़मीन पर फर्जी तरीके से मालिकाना हक जताया। उन्होंने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से रिकॉर्ड में हेरफेर किया और जाली दस्तावेज़ तैयार करवाकर ज़मीन बेच दी। जबकि यह ज़मीन कभी भी किसी निजी स्वामित्व में नहीं रही थी और शुरू से ही वायुसेना के अधीन थी।
कब और कैसे हुआ खुलासा?
इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब रिटायर्ड राजस्व अधिकारी निशान सिंह ने इसकी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद 2021 में हलवारा एयरफोर्स स्टेशन के कमांडेंट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को पत्र भेजकर जांच की मांग की। लेकिन लंबे समय तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर निशान सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया।
क्या निकला जांच में?
कोर्ट को बताया गया कि ज़मीन के असली मालिक मदन मोहन लाल की मौत 1991 में हो चुकी थी, जबकि बिक्री के दस्तावेज़ 1997 में बनाए गए। इससे साफ हुआ कि यह पूरा मामला धोखाधड़ी और जालसाजी का है। वायुसेना ने कभी यह ज़मीन किसी को नहीं बेची थी।
हाईकोर्ट की सख्ती
हाईकोर्ट ने इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मानते हुए पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से जांच करने के आदेश दिए। कोर्ट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को समय पर कार्रवाई न करने के लिए फटकार भी लगाई।
कार्रवाई और नतीजा
विजिलेंस ब्यूरो ने 20 जून को जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की, जिसके आधार पर उषा अंसल और उनके बेटे नवीन चंद के खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके साथ ही मई 2025 में हवाई पट्टी वाली ज़मीन को औपचारिक रूप से फिर से रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया।
पंजाब प्रशासन ने भी स्वीकार किया कि यह ज़मीन 1958-59 से अब तक भारतीय वायुसेना के ही कब्जे में है और इसे कभी किसी को ट्रांसफर नहीं किया गया।