बिहार के बक्सर जिले से मानवता और सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने वाली एक बेहद भावुक खबर सामने आई है। अपने इकलौते बेटे को सड़क हादसे में खोने के बाद एक हिंदू परिवार ने निजी दुख को समाज की भलाई में बदलते हुए मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान के लिए एक बीघा जमीन दान कर दी। इस फैसले की गांव ही नहीं, आसपास के इलाकों में भी जमकर चर्चा हो रही है।

यह मामला बक्सर जिले के चौसा प्रखंड के डेवी डीहरा गांव का है। गांव निवासी जनार्दन सिंह के बेटे शिवम कुमार (25) की 18 नवंबर को देहरादून में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। शिवम आईटी से बी.टेक और एमबीए की पढ़ाई पूरी कर चुके थे और देहरादून में तीन फैक्ट्रियों का संचालन कर रहे थे। परिवार उनकी शादी की तैयारियों में लगा हुआ था, लेकिन हादसे ने खुशियों को मातम में बदल दिया।
बेटे की असमय मौत से गहरे सदमे में जनार्दन सिंह ने बताया कि शिवम बेहद समझदार, संवेदनशील और सामाजिक सोच रखने वाला युवक था। बेटे का अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया गया। वहीं उन्होंने देखा कि मुस्लिम समुदाय को अपने मृतकों को दफनाने के लिए जमीन की कमी के कारण कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह दृश्य उनके दिल को भीतर तक छू गया।
इसी अनुभव के बाद जनार्दन सिंह ने गांव की एक बीघा जमीन मुस्लिम समाज को कब्रिस्तान के लिए दान करने का निर्णय लिया। उनका कहना है कि किसी भी परिवार को अपने प्रियजन को आखिरी विदाई देने में परेशानी नहीं होनी चाहिए।
जनार्दन सिंह के छोटे भाई और शिवम के चाचा बृजनंदन सिंह ने बताया कि कब्रिस्तान के प्रबंधन के लिए एक संयुक्त समिति बनाई जाएगी, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग शामिल होंगे। फिलहाल जमीन पर फसल लगी है, जिसकी कटाई के बाद मिलने वाली पूरी राशि भी कब्रिस्तान समिति को सौंप दी जाएगी। परिवार ने साफ कर दिया है कि अब उस जमीन पर उनका कोई अधिकार नहीं रहेगा।
दरअसल, डेवी डीहरा गांव में पहले कब्रिस्तान मौजूद था, लेकिन बाद में उसी जमीन पर एक स्कूल का निर्माण हो गया। इसके चलते गांव में रहने वाले करीब 50 मुस्लिम परिवारों को शव दफनाने के लिए पांच किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता था, जिससे कई बार विवाद की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती थी।
गांव के मजदूर अलाउद्दीन बताते हैं कि उनके पूर्वजों की कब्रें पहले गांव में ही थीं, लेकिन कागजी दस्तावेजों के अभाव में कब्रिस्तान की जमीन सुरक्षित नहीं रह सकी। जनार्दन सिंह के इस फैसले से मुस्लिम समुदाय को बड़ी राहत मिली है।