
यूक्रेन युद्ध को तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन भारत और चीन जैसे कुछ देश अब भी रूस से सस्ते तेल की खरीद कर रहे हैं। इस पर अमेरिका ने कड़ा रुख अपनाया है। अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक नया बिल पेश किया है, जिसमें रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500 फीसदी तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है। इस बिल को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी समर्थन हासिल है, जिससे इसके पास होने की संभावना बढ़ गई है।
क्या कहता है यह नया बिल?
बिल के अनुसार, जो देश रूस से तेल और अन्य सामान का व्यापार करते हैं, उन पर अमेरिका में भारी टैक्स लगाया जाएगा। ग्राहम का कहना है कि भारत और चीन रूस का लगभग 70 प्रतिशत तेल खरीदते हैं, इसलिए अमेरिका इन देशों पर आर्थिक दबाव बनाना चाहता है ताकि वे रूस से दूरी बनाएं। उन्होंने बताया कि यह बिल राष्ट्रपति ट्रंप को एक ऐसा हथियार देगा, जो उनके पास अभी नहीं है।
ट्रंप ने इस बिल को जुलाई की छुट्टियों के बाद वोटिंग के लिए पेश करने की हरी झंडी दे दी है। सीनेट के 84 सदस्य इस बिल का समर्थन कर चुके हैं। यह बिल पहले मार्च में लाया गया था, लेकिन व्हाइट हाउस की आपत्तियों और ट्रंप-पुतिन संबंधों को लेकर इसे टाल दिया गया था।
भारत पर क्या होगा असर?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में सस्ते दरों पर कच्चा तेल खरीदना शुरू किया था। इस व्यापार में डॉलर की बजाय रुपये और रूबल का इस्तेमाल हुआ, जिससे दोनों देशों को लाभ मिला। नतीजा यह हुआ कि रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया और उसकी हिस्सेदारी 1% से बढ़कर 44% तक पहुंच गई।
हाल ही में भारत ने रूस से 2 से 2.2 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल आयात करने की योजना बनाई है, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। अगर यह अमेरिकी बिल पास होता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भारी टैरिफ लग सकता है, जिससे व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
रूस ने क्या प्रतिक्रिया दी?
रूस ने इस बिल पर नाराजगी जताई है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने सीनेटर ग्राहम को रूस-विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि अगर उनकी मर्जी होती तो यह कानून कब का लागू हो गया होता। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस तरह के प्रतिबंध वाकई यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने में मदद करेंगे?