2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की शानदार जीत ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया को एक नया राजनीतिक मोड़ दिखाया है। ट्रंप के चुनावी अभियान ने अमेरिकी जनता को उनकी ‘America First’ नीति और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने सख्त दृष्टिकोण से आकर्षित किया था। उनके राष्ट्रपति बनने के बाद एक बार फिर से वैश्विक राजनीति में बदलाव की लहर देखने को मिली है। विशेष रूप से, इजरायल के साथ उनके रिश्तों और मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव के संदर्भ में ट्रंप का समर्थन फिर से चर्चा का विषय बन गया है।
ट्रंप और इजरायल: एक ऐतिहासिक गठबंधन
डोनाल्ड ट्रंप का इजरायल के प्रति समर्थन पहले भी काफी स्पष्ट रहा है। उनका प्रशासन इजरायल को हमेशा एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता था। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान कई फैसले किए थे जो इजरायल के हितों को मजबूत करने के लिए थे, जैसे कि यरूशलेम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देना और अमेरिकी दूतावास को वहां स्थानांतरित करना। इन फैसलों ने ट्रंप को इजरायल समर्थक के रूप में प्रस्तुत किया और उन्होंने यह साबित किया कि वह इस्लामिक दुनिया के मुकाबले इजरायल के पक्ष में खड़े होंगे।
ट्रंप की अध्यक्षता में अमेरिका ने इजरायल के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत किया था, खासकर व्यापार, रक्षा, और कूटनीतिक मोर्चों पर। उनकी नीतियों ने इजरायल को अधिक आत्मनिर्भर बनाया और वह मध्य-पूर्व में अपने विरोधियों के खिलाफ भी मजबूती से खड़ा हुआ।
इजरायल-गाजा संघर्ष में ट्रंप का समर्थन
2024 के चुनाव के परिणाम के बाद, जब ट्रंप ने पुनः राष्ट्रपति पद संभाला, तो वैश्विक राजनीति में उनके फैसले और नीतियां एक बार फिर से महत्वपूर्ण हो गईं। इस समय, इजरायल और गाजा के बीच संघर्ष एक बार फिर उग्र हो चुका था। इस संघर्ष में इजरायल को एक सशक्त और प्रभावी समर्थन की जरूरत थी। ऐसे में ट्रंप का इजरायल के पक्ष में खुलकर आना, एक ऐसा कदम था जो वैश्विक राजनीति में छाया रहा।
ट्रंप का रुख
ट्रंप ने इजरायल के खिलाफ गाजा से हो रहे हमलों को लेकर अपनी पूरी सहानुभूति जताई और कहा कि “इजरायल को अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।” उन्होंने इजरायल की सेना को यह अधिकार दिया कि वह आतंकवादी समूहों के खिलाफ अपनी कार्रवाइयों को और तेज करे और यदि आवश्यकता हो, तो गाजा में सेना भेजने के लिए तैयार रहे। उनका यह बयान पूरी दुनिया में एक स्पष्ट संदेश था कि अमेरिका इजरायल के समर्थन में खड़ा है, चाहे जैसे भी हालात हों।
ट्रंप का यह रुख उन देशों के लिए चुनौती बना जिन्होंने इजरायल के सैन्य हमलों और संघर्षों की आलोचना की थी। उनका यह समर्थन मध्य-पूर्व में इजरायल के लिए एक मजबूत बैकिंग के रूप में देखा गया, क्योंकि ट्रंप की राष्ट्रपति के रूप में वापसी से एक नई उम्मीद का संचार हुआ था कि अमेरिका एक बार फिर से इजरायल के पक्ष में खड़ा होगा।
ट्रंप का इजरायल के समर्थन में विशेष कदम
ट्रंप ने इजरायल के समर्थन में केवल कूटनीतिक और बयानबाजी तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जो इजरायल के लिए फायदेमंद साबित हुए:
- इराक़ और सीरिया में इजरायल के खिलाफ सैनिकों की भूमिका को सीमित करना: ट्रंप ने इराक और सीरिया में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती को सीमित किया, ताकि इजरायल को मध्य-पूर्व में एक अलग स्थिति में रखा जा सके। इससे इजरायल को यह संदेश मिला कि अमेरिका इस क्षेत्र में उसकी सुरक्षा को प्राथमिकता देगा और उसके खिलाफ किसी प्रकार के संघर्ष में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
- ट्रंप का “सदर्न सीमा पर सुरक्षा” का बयान: ट्रंप ने मध्य-पूर्व में आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त रुख अपनाया था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इजरायल को न केवल सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि आतंकवाद और उग्रवादियों से बचाने के लिए भी हर संभव मदद दी जाएगी। उनका यह रुख इजरायल के लिए एक बड़ी सहारा साबित हुआ, खासकर जब गाजा और पश्चिमी तट पर संघर्ष बढ़ा।
- मध्य-पूर्व में इजरायल की स्थिति को मजबूत करने के लिए शांति प्रस्ताव: ट्रंप ने मध्य-पूर्व में इजरायल की स्थिति को मजबूत करने के लिए “सदर्न शांति समझौते” पर चर्चा की। इस प्रस्ताव का उद्देश्य इजरायल को वैश्विक स्तर पर अधिक स्वीकार्यता दिलाना था, खासकर उन देशों से जो इजरायल को वैधता नहीं देते थे। इस समझौते के अंतर्गत ट्रंप ने कहा कि इजरायल को उसकी क्षेत्रीय सुरक्षा और सीमाओं के लिए अधिक समर्थन मिलना चाहिए।
इजरायल के प्रति ट्रंप का कड़ा रुख
जंग के इस दौर में, जहां इजरायल को कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, ट्रंप ने इजरायल के प्रति कड़ा रुख अपनाया। उनका कहना था कि “जो लोग इजरायल के खिलाफ उठ खड़े होते हैं, उन्हें हम यह संदेश देंगे कि अमेरिका हमेशा इजरायल के साथ खड़ा रहेगा।” ट्रंप के इस बयान का इजरायल में स्वागत किया गया, क्योंकि यह उन्हें यह भरोसा दिलाता था कि अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में वह किसी भी संकट के समय उनके पक्ष में खड़े होंगे।
गाजा में बढ़ते संघर्ष पर ट्रंप का बयान
गाजा में इजरायल और फिलिस्तीनी उग्रवादियों के बीच लगातार बढ़ते संघर्ष पर ट्रंप ने एक सख्त बयान दिया। उन्होंने कहा कि “गाजा से होने वाली किसी भी प्रकार की हिंसा का जवाब इजरायल को उसी तरह से दिया जाएगा, जैसे एक सशक्त देश अपने सुरक्षा हितों के लिए करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि “अमेरिका इजरायल के सुरक्षा हितों को पूरी तरह से समझता है और उसे सुरक्षा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”
ट्रंप के नीतिगत कदमों से इजरायल को फायदा
- वित्तीय और सैन्य सहायता:
ट्रंप के प्रशासन ने इजरायल को वित्तीय और सैन्य सहायता की प्रक्रिया को मजबूत किया था। अमेरिका ने इजरायल को हर साल अरबों डॉलर की सैन्य सहायता दी है, ताकि इजरायल अपने रक्षा कार्यक्रमों को जारी रख सके। 2024 के चुनाव के बाद, ट्रंप ने इसे और बढ़ाने का संकेत दिया है, जिससे इजरायल को अपने रक्षा तंत्र को और मजबूत करने में मदद मिलेगी। - यूएन में इजरायल का समर्थन:
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के मंच पर इजरायल के खिलाफ होने वाले किसी भी प्रकार के प्रस्तावों का विरोध किया। उनके प्रशासन ने हमेशा इजरायल के पक्ष में वोट किया और इजरायल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर विशेष स्थान दिलाने के लिए काम किया। इस दृष्टिकोण ने इजरायल को वैश्विक स्तर पर मजबूती दी। - इरान और इजरायल का सामरिक गठबंधन:
ट्रंप ने इरान के साथ परमाणु समझौते को खारिज कर दिया था और इजरायल को यह भरोसा दिलाया था कि अमेरिका इरान के खिलाफ कड़ी नीतियां अपनाएगा। इसका सीधा असर इजरायल के सुरक्षा हितों पर पड़ा, क्योंकि इजरायल के लिए इरान सबसे बड़ा खतरा बन चुका था। ट्रंप ने इजरायल की रक्षा में अमेरिका की पूरी मदद की बात की थी।