पूरे 2 साल बाद चार धाम यात्रा शुरू की जा रही है। इसी कारण से इस बार भारी संख्या में चारधाम यात्रा के लिए लोग उत्सुक है। ऐसे में कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इस बार प्रतिदिन सिमित श्रद्धालुओं का दायरा तय किया है जिससे की कोरोना संक्रमण से बचाव और लोगो की आस्था दोनों का पालन किया जा सके। परन्तु सरकार द्वारा लिए गये इस फैसले से चारधाम के स्थानीय लोग नाखुश नज़र आ रहे है। होटल, होम स्टे संचालक, व्यापारियों व तीर्थ पुरोहितों में रोष है। जिला मुख्यालय सहित यमुनोत्री धाम, हर्षिल व धराली में होटल, होम स्टे संचालकों, व्यापारियों और तीर्थपुरोहितों ने सरकार के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार से तत्काल आदेश वापस लेने की मांग की। उनका कहना है कि बहुत मुश्किलों से जा कर उनका व्यापर सुधरने का मौका आया है तो सरकार ने उनके बढ़ते व्यापार में बाधा दाल उनके लिए परेशानी कर दी है।
रविवार को जिला मुख्यालय के हनुमान चौक के निकट सुमन मंच पर होटल व्यवसायी व व्यापारी बड़ी संख्या में एकजुट हुए। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र मटूड़ा ने कहा कि पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के चलते यात्रा बुरी तरह प्रभावित रही। अब इस साल जब यात्रा में तीर्थयात्रियों के बड़ी संख्या में पहुंचने की उम्मीद है। तब पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने प्रत्येक धाम में चारधाम यात्रियों की संख्या सीमित करने का तुगलकी फरमान सुनाया है। कहा कि यमुनोत्री में प्रतिदिन दर्शन के लिए 4000 व गंगोत्री में 7000 तीर्थयात्रियों की संख्या तय की गई है, जबकि यहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री होटलों की बुकिंग, आने-जाने के लिए रेल व हवाई टिकट बुक कर चुके हैं। होटल एसोसिएशन के संरक्षक महेश पंवार ने कहा कि सरकार के निर्णय से हजारों तीर्थयात्रियों को असमंजस में डाल दिया है। सरकार पर अपनी नाकामी छुपाने के लिए इस तरह के निर्णय लेने ले रही है। इधर, हर्षिल और धराली में भी होटल, होम स्टे संचालकों व व्यापारियों ने सरकार के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन कर निर्णय वापस लेने की मांग उठाई। उधर, यमुनोत्री धाम में भी तीर्थपुरोहित ने यमुनोत्री मात्र 4000 की संख्या तय करने पर आपत्ति जताई। वहीं तहसील मुख्यालय में भी चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों का प्रदर्शन कर सरकार के निर्णय पर सवाल उठाकर अपना आकोश जता रहे है।