महिला दिवस की पूर्व संध्या पर लैंगिक समानता पर विमर्श
एसडीसी फाउंडेशन की ओर से दून इंटरनेशन स्कूल में हुआ आयोजन
देहरादून
पर्यावरणविद् एवं पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित डॉ. अनिल जोशी का ने कहा है कि राजनीतिक पार्टियों ने महिलाओं को भीड़ के रूप से इस्तेमाल किया, उनके सम्मान की दिशा में बहुत सकारात्मक कदम नहीं उठाये। उन्होंने कहा कि यदि देश और दुनिया की सत्ता महिलाओं के हाथों में होती तो आज यूक्रेन जैसा युद्ध नहीं होता और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता।
डॉ. जोशी एसडीसी फाउंडेशन की ओर से दून इंटरनेशनल स्कूल में महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। गोष्ठी का विषय था उत्तराखंड. सतत भविष्य और लैंगिक समानता. गोष्ठी में पैनलिस्ट के रूप में बीजेपी की निवर्तमान विधायक ऋतु खंडूरी भूषण, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी, एडवोकेट और महिला हेल्प लाइन समाधान की रेनू सिंह और डॉक्टर व परी फाउंडेशन की डॉ. सोना कौशल गुप्ता मौजूद थी. गोष्ठी का संचालन एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने किया।
गोष्ठी की शुरुआत करते हुए ऋतु खंडूरी ने कहा कि जेंडर इक्वेलिटी की बात घर से होनी चाहिए। इसके बाद पॉलिटिकल विल पावर भी जेंडर इक्वेलिटी के लिए जरूरी है। गरिमा दसौनी ने कहा कि जेंडर इक्वेलिटी के लिए सबसे पहले महिलाओं का स्वाभिमानी होना जरूरी है। स्वावलंबन उसके बाद की सीढ़ी है। उन्होंने उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं न होने पर चिन्ता जताई। उनका कहना था कि शिक्षा सेहत और सुरक्षा अन्य पहलू हैं, जिन पर महिलाओं के मामले में विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
रेनू सिंह ने अपने अनुभवों के आधार पर कहा कि महिलाओं की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि न्यायिक प्रक्रिया तक उनकी सीधी पहुंच नहीं है। ऐसे में उन्हें समय से न्याय नहीं मिल पाता। उनका कहना था कि घरेलू हिंसा की शिकार महिला को 24 घंटे सुरक्षा देने की व्यवस्था है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. उन्होंने वन स्टॉप सेंटर्स की व्यवस्था सुधारने पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि पति या ससुराल वालों से अनबन होने पर महिला को मायके वाले भी आश्रय नहीं देते। वन स्टॉप सेंटर में उन्हें सिर्फ 5 दिन रखा जाता है। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसी महिला के रहने की कोई ठीक व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक उसे वन स्टॉप सेंटर में जगह दी जानी चाहिए। उन्होंने सेना में महिला रेजिमेंट बनाने की भी जरूरत बताई।
सोना कौशल गुप्ता ने महिलाओं का आह्वान किया कि वे सबसे पहले अपना ध्यान रखें. अपने खाने और अपनी सेहत को ध्यान रखेंगी तभी पूरे परिवार का ध्यान रख पाएंगी. उन्हें घर और बाहर दोनों जगह ध्यान देना होता है, ऐसे में आत्मविश्वास भी बेहद जरूरी है. ऐसा नहीं होगा तो वे तनाव में रहेंगी और डिप्रेशन का शिकार होंगी. उन्होंने एक्सेप्टेशन कम से कम रखने की सलाह दी.
सभी पैनलिस्ट महिलाओं ने इस बात पर सहमति जताई कि राजनीति में महिलाओं का रिप्रजेंटेशन बढऩा चाहिए. उनका कहना था कि जब उत्तराखंड में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वोट डालती हैं तो ऐसे में क्यों नहीं उन्हें ज्यादा रिप्रजेंटेशन मिलना चाहिए. पैनलिस्ट का कहना था कि महिलाओं को आरक्षण नहीं हक चाहिए और उनका आधा हक है, इसलिए विधानसभा से लेकर लोकसभा तक 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं को मिलनी चाहिए.
गोष्ठी के विशिष्ठ अतिथि के रूप में दून इंटरनेशनल स्कूल के फाउंडर और शिक्षाविद डीएस मान ने कहा कि महिलाएं लगातार आगे बढ़ रही हैं और ऐसा इसलिए हुआ कि हमारे संविधान में महिलाओं और पुरुषों के लिए एक समान अधिकार दिये गये हैं. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में अब तक किन्हीं कारणों से महिलाएं उच्च पदों तक नहीं पहुंच पाई हैं, वहां भी जल्दी पहुुंचेंगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है.