
देहरादून। उत्तराखंड में LUCC चिटफंड फ्रॉड से प्रभावित लगभग 25 लाख लोग न्याय की गुहार लगाते हुए देहरादून के एकता विहार में आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। पीड़ितों ने राज्य सरकार से बड़े स्तर पर कार्रवाई और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है।
LUCC घोटाले का सार
लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी (LUCC) उत्तराखंड के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इस चिटफंड फ्रॉड में 25 लाख लोगों से लगभग 100 करोड़ रुपये का निवेश ठगा गया। राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विजिलेंस जांच शुरू की और पुलिस ने 10 अलग-अलग मामलों में चार्जशीट दाखिल की। आरोपियों को नोटिस जारी कर दिया गया है और गिरफ्तारी की कार्रवाई जारी है। जांच को सीबीआई को सौंपने के लिए केंद्र से नोटिस का इंतजार है।
LUCC घोटाले की मुख्य बातें
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संस्थापक: गिरीश चंद्र बिष्ट, ग्राम पिंगला, कौसानी, बागेश्वर।
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राज्य में 37 शाखाएं खोली गईं, 2 डायरेक्टर और 37 ब्रांच मैनेजर नियुक्त किए गए।
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कंपनी ने अपने विज्ञापनों में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और फिल्मी सितारों की तस्वीरें लगाकर निवेशकों को आकर्षित किया।
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निवेशकों को उच्च रिटर्न का लालच देकर करोड़ों रुपये का निवेश करवाया गया।
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29 सितंबर 2024 को सभी शाखाएं बंद कर दी गईं, जिससे निवेशक तनाव में आ गए।
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LUCC ने उत्तराखंड के अलावा 8 अन्य राज्यों में भी निवेश और रिटर्न के वादे किए।
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कंपनी कृषि मंत्रालय के तहत पंजीकृत थी और उसके पास सभी वैध दस्तावेज मौजूद थे।
पीड़ितों की प्रतिक्रिया
पीड़ित रोशनी गौड़ ने बताया कि LUCC ने पूरे प्रदेश में लगभग 25,000 एजेंट बनाए, जिन्होंने निवेश करवाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद 60 लाख रुपये का निवेश किया है। सुशीला नेगी ने बताया कि उन्होंने 22 लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें से 6 लाख उनके खुद के थे और बाकी परिचितों से जुटाए गए थे।
राजनीतिक पहलू
पीड़ितों का आरोप है कि घोटाले में बड़ी हस्तियों का हाथ होने के कारण कार्रवाई धीमी हो रही है। कांग्रेस ने भी इस मामले को उठाते हुए कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ और हजारों गरीबों के पैसे लूटे गए। कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा कि यह सरकार का बड़ा फेलियर है और आरोपियों को संरक्षण मिल रहा है।
LUCC घोटाले के पीड़ित अब न्याय पाने के लिए आंदोलन को तेज कर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं और सरकार पर दबाव बढ़ा रहे हैं।