
सितारगंज। सरकार जहां रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रही है, वहीं सितारगंज महाविद्यालय में चल रहे दो डिप्लोमा कोर्स अब बंद होने की कगार पर पहुँच गए हैं। वजह है – इनकी ऊँची फीस और छात्रों की कमी।
करीब तीन साल पहले कॉलेज ने सेल्फ फाइनेंस योजना के तहत सेल्स पर्सन और ऑफिस असिस्टेंट के डिप्लोमा कोर्स शुरू किए थे। ये छह माह के कोर्स हैं, जिनकी फीस सात से आठ हजार रुपये रखी गई थी। लेकिन फीस ज़्यादा होने के कारण छात्र दाखिला लेने से पीछे हट गए।
नियम के अनुसार, सेल्फ फाइनेंस कोर्स तभी संचालित हो सकते हैं जब कम से कम 10 छात्र नामांकन लें। फीस से ही कोर्स चलाने का खर्च निकलना था, लेकिन पर्याप्त संख्या में विद्यार्थी न मिलने से ये कोर्स टिक नहीं पाए।
तीन साल पहले औद्योगिक क्षेत्र के नजदीक युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने के उद्देश्य से इनकी शुरुआत की गई थी। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए यह फीस भारी साबित हुई। प्रोफेसरों ने छात्रों को व्यक्तिगत रूप से प्रेरित करने की कोशिश भी की, मगर सफलता नहीं मिली।
अब स्थिति यह है कि दोनों रोजगारपरक डिप्लोमा कोर्स बंद होने के कगार पर हैं।
— राजविंदर कौर, प्रोफेसर, सितारगंज महाविद्यालय