
काशीपुर। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनोज गर्ब्याल की अदालत ने नेपाली युवकों को बंधक बनाकर रखने के आरोपी की जमानत प्रार्थनापत्र को खारिज कर दिया है। मामला 20-21 जून का है, जब नेपाल एंबेसी के प्रतिनिधि नवीन जोशी और आईटीआई थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए महाराज सिंह के घर से 29 नेपाली युवकों और तीन नाबालिगों को मुक्त कराया था।
आरोपी धनगढ़ी (नेपाल) निवासी विरेंद्र छत्रशाही ने अदालत में दलील दी कि उसने किसी को बंधक नहीं बनाया और न ही जबरन मजदूरी कराई। उसका कहना था कि आईटीआई थाना पुलिस ने झूठे आरोप लगाकर उसे गिरफ्तार किया है और इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
वहीं, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए बताया कि आरोपी और उसके साथी एक संगठित गिरोह के रूप में काम करते हैं। उन्होंने नेपाल के युवकों और नाबालिगों को नौकरी का झांसा देकर भारत बुलाया, उनसे पैसे ठगे, उन्हें बंधक बनाकर मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।
अदालत ने आरोपों की गंभीरता और मामले की प्रकृति को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी।