
बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बुधवार को संसद में यह मुद्दा जोरशोर से उठा, जहां AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
ओवैसी ने लोकसभा में कहा कि SIR की आड़ में बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि 56 लाख से अधिक लोगों के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं, जिनमें अधिकतर वे लोग हैं जो मुस्लिम बहुल इलाकों से आते हैं और आजीविका के लिए अन्य राज्यों में काम करने गए हैं। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया नागरिकता के मनमाने दस्तावेजों की मांग पर आधारित है, जिससे गरीब और हाशिये पर खड़े नागरिकों को उनके वोटिंग अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
उन्होंने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताते हुए कहा कि जिनके पास सिर्फ वोट देने का अधिकार है, अब उनसे वह भी छीना जा रहा है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए संसद में बहस की मांग की। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां हैं और जनता के वोट से खिलवाड़ किया जा रहा है। खड़गे ने कहा कि विपक्ष बार-बार शांतिपूर्वक यह कह रहा है कि इस पर चर्चा होनी चाहिए ताकि उन मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा की जा सके, जो इस प्रक्रिया की वजह से मतदाता सूची से बाहर हो रहे हैं।
खड़गे ने स्पष्ट किया कि चर्चा के जरिए विपक्ष सुझाव भी देना चाहता है और सरकार से जवाब भी मांगना चाहता है कि मतदाता सूची को इतनी बड़ी संख्या में क्यों बदला जा रहा है।