
ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात के बीच G7 देशों ने एक बड़ा और निर्णायक बयान जारी करते हुए इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार को पूरी तरह से सही ठहराया है। साथ ही, ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर गहरी चिंता जताते हुए उस पर कड़ा रुख अपनाने के संकेत भी दिए हैं।
इजरायल के पक्ष में G7 की एकजुटता
G7 के संयुक्त बयान में साफ कहा गया है, “हम इजरायल की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। उसे आत्मरक्षा का अधिकार है और हम मिडिल ईस्ट में शांति बनाए रखने के पक्षधर हैं।” यह बयान ऐसे समय पर आया है जब इजरायल ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू की है और इसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें दागी हैं।
ईरान को लेकर G7 का सख्त संदेश
बयान में G7 नेताओं ने ईरान को आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता का स्रोत बताया है और कहा है कि “ईरान को कभी भी परमाणु हथियार नहीं दिए जा सकते।” अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन पहले ही ईरान को इस विषय में कई बार चेतावनी दे चुके हैं।
इसके साथ ही G7 ने यह भी कहा कि वे ऐसा समाधान चाहते हैं जिससे मिडिल ईस्ट में युद्ध और आगे न बढ़े और गाजा पट्टी सहित पूरे क्षेत्र में युद्धविराम हो।
नेतन्याहू को अंतरराष्ट्रीय समर्थन
इस बयान से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलता दिख रहा है। वे अब ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई को सीधे निशाने पर लेने की बात कर रहे हैं, और G7 का यह समर्थन उन्हें और अधिक ताकतवर बनाता है।
भारत के लिए बढ़ती चिंता
भारत के लिए यह स्थिति अत्यंत संवेदनशील है। एक ओर इजरायल, भारत का महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी है, वहीं दूसरी ओर ईरान भारत के लिए भौगोलिक और व्यापारिक दृष्टि से अहम है।
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इजरायल भारत को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक और हथियार मुहैया कराता है।
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वहीं, ईरान भारत को पाकिस्तान को बाईपास करते हुए मध्य एशिया तक व्यापार का रास्ता देता है।
ऐसे में भारत के लिए यह एक कूटनीतिक संतुलन की परीक्षा है। उसे इस पूरे घटनाक्रम में बेहद सावधानी से अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, जिससे न तो उसके पश्चिमी सहयोगी नाराज हों और न ही ईरान से वर्षों पुराने संबंध बिगड़ें।