
दुनिया की सात सबसे शक्तिशाली लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G7 ने इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक मजबूत और निर्णायक बयान जारी किया है। G7 नेताओं ने स्पष्ट किया है कि वे इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हैं और मिडिल ईस्ट में शांति व स्थिरता बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
इजरायल के पक्ष में G7 की एकजुटता
G7 के साझा बयान में कहा गया है, “हम इजरायल की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं और मानते हैं कि उसे आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब इजरायल ने ईरान पर सैन्य कार्रवाई शुरू की है और जवाब में ईरान ने भी मिसाइल हमले किए हैं।
ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें दागीं, जिनमें से कई ने इजरायली रक्षा प्रणाली को भेदते हुए महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद इजरायल ने ईरान की कई सैन्य और रिसर्च फैसिलिटी पर हमले किए, जिससे पूरे मिडिल ईस्ट में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं।
ईरान को लेकर G7 का सख्त रुख
G7 का बयान ईरान को लेकर बेहद सख्त है। नेताओं ने कहा है, “ईरान क्षेत्रीय अस्थिरता और आतंकवाद का मुख्य स्रोत है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि ईरान के पास कभी भी परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए।”
G7 ने यह भी कहा कि वे ऐसा समाधान चाहते हैं जिससे युद्ध और अधिक न फैले, और गाजा समेत पूरे मिडिल ईस्ट में युद्धविराम लागू हो।
नेतन्याहू की रणनीति को मिला समर्थन
G7 का यह बयान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आक्रामक नीति को भी बल देता है। नेतन्याहू अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में G7 का साथ उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन और हौसला दोनों देता है।
भारत के लिए बना संतुलन का संकट
G7 के इस कड़े रुख के बाद भारत के लिए हालात और पेचीदा हो गए हैं। भारत के ईरान और इजरायल दोनों से मजबूत संबंध हैं:
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इजरायल, भारत का प्रमुख रक्षा साझेदार है।
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जबकि ईरान, भारत को मध्य एशिया तक व्यापार का वैकल्पिक रास्ता देता है, जो पाकिस्तान के प्रभाव को कम करता है।
इसलिए भारत को अब बेहद संतुलित और सतर्क कूटनीति अपनानी होगी ताकि न तो उसके पश्चिमी साझेदार नाराज हों और न ही ईरान से पारंपरिक रिश्ते कमजोर पड़ें।