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उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में दर्दनाक हादसे, 11 लोगों की गयी जान

उत्तरकाशी में मोरी तहसील के गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पार्क क्षेत्र के फिताडी गांव में बुधवार सुबह मिट्टी निकालते समय पांच महिलाएं मलबे में दब गई। साथ ही इस घटना में एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जबकि एक महिला की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस-प्रशासन की ओर से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। बताया जारा है कि मिट्टी खोदने के समय अचानक पहाड़ी से मलबा आ गिरा और वह मलबे में दब गई। सूचना के बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने महिलाओं को मलबे से बाहर निकाला।

घटना की सूचना मिलते ही 108 एंबुलेंस, पुलिस टीम, एसडीआरएफ टीम और राजस्व उपनिरीक्षक घटनास्थल के लिए रवाना हो गई, इस दुर्घटना में जिला आपदा कन्ट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार सुबह फिताड़ी गांव की सूरी पत्नी विद्वान सिंह उम्र 30 वर्ष, कस्तूरी पत्नी ज्ञान सिंह उम्र 33 वर्ष ,सुशीला पत्नी रणवीर सिंह उम्र 35 वर्ष, विपिना पत्नी रामलाल 26 वर्ष, राजेंद्री पत्नी बहादुर सिंह उम्र 26 वर्ष घर के चूल्हे व मकान को लेपने के लिए मिट्टी निकालने गई थी। लेकिन सूरी पत्नी विद्वान सिंह जिनकी उम्र 30 के करीब है, पीएचसी स्वास्थ्य केंद्र मोरी लाते समय मृत्यु हो गई। सूत्रों के मुताबिक उत्तरकाशी में लगातार हो रहे हादसों से प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने की चेतवानी दी है।

बुधवार को हुए इस हादसे ने पांच परिवारों को खत्म कर दिया है। इस हादसे के तुरंत बाद ही प्रशासन ने एसडीआरएफ टीम और राजस्व उपनिरीक्षक को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया मगर रास्ते में ही एक महिला की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो गयी। लोगों के मुताबिक यह महिलाएं घर के चूल्हे और मकान की पुताई के लिए मिट्टी लेने गयी थी मगर मिट्टी निकालते समय ही दुर्भाग्यपूर्ण मलबा गिरने से वह उसके निचे दब गयी।

चम्पावत में सड़क दुर्घटना में 8 लोगों की मौत, आईटीबीपी ने चलाया बचाव कार्य

साथ ही उत्तराखंड के चंपावत में सोमवार को एक बड़ी अनहोनी हो गई है। चंपावत जिले के डांडा क्षेत्र में सोमवार रात बरात से लौट रहा एक वाहन खाई में गिरा, जिसमें 11 बरातियों की मौत हो गई। चंपावत से करीब 65 किमी दूर इस स्थान पर एक परिवार में शादी थी। इस दुर्घटना में कुल 10 लोगों की मौत हुई है देर शाम राहत व बचाव कार्य समाप्त कर दिया गया। गौरतलब है कि पहाड़ों में आइटीबीपी को राहत और बचाव कार्यों में प्रथम प्रतिक्रिया दाता के तौर पर मान्यता प्राप्त है जबकि बल ने सैकड़ों अवसरों पर प्राकृतिक और मानवीय आपदाओं की स्थितियों में सैकड़ों जाने बचाई हैं और कई लोगों की जान और माल की रक्षा की है।

 

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