ख़बर परिवहन विभाग से है जहाँ अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। आपको बता दे कि प्रदेश सरकार के द्वारा बीते वर्ष विभाग को ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक बनाने के लिए तीन करोड़ का बजट आवंटित किया गया था। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक नहीं बन पाया और आवंटित धनराशी लैप्स हो गई। वही आपको बताते चले की विभाग को ड्राइविंग टेस्ट परीक्षा केंद्र द्वारा तय मानकों के अनुसार ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक पर हो इसलिए ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक का निर्माण करना था और इस परीक्षा को पास करने वाले अभियार्थियो का ही नया लाइसेंस जारी करना था।
प्रदेश में भी इस दिशा में काम शुरू हुआ। इसके लिए पहले चरण में चार ऐसे स्थानों पर ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक बनाने का निर्णय लिया गया, जहां जमीन विभाग के पास थी। इस कार्य के लिए विभाग के पास अल्मोड़ा, हल्द्वानी, काशीपुर और ऋषिकेश में जमीन थी वही विकासनगर, रुड़की, रुद्रपुर और टिहरी में जमीन खरीद की प्रक्रिया चल रही है। शेष स्थानों पर भी शीघ्र इस पर काम होना है। केंद्र सरकार के निर्देश पर विभाग ने उन चार स्थानों पर ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक बनाने का निर्णय लिया, जहां जमीन उपलब्ध थी। जानकारी के अनुसार एक ट्रेक के निर्माण की लागत लगभग 1.25 करोड़ रुपये अनुमान लगाई गई।
गौरतलब है कि पेयजल निर्माण निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया था। इसके बाद यह जिम्मा मंडी परिषद को सौंप दिया गया। मंडी परिषद के द्वारा इसकी डीपीआर भी बनाई। इसके बाद अपने आप ही यह मामला ठप हो गया। शासन से लेकर परिवहन मुख्यालय तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण यह धनराशि लैप्स हो गई।