देहरादून – सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश देते हुए उत्तराखंड पुलिस से कहा है की समाज में नफरत फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ फ़ौरन कार्यवाही की जाए, अगर कार्यवाही में देरी होती है तो उसे कोर्ट की अवमानना समझा जायेगा. यहाँ तक की सर्वोच्च न्यायालय ने कहा की हेट स्पीच को लेकर किसी की शिकायत आने का इंतेज़ार ना करे बल्कि खुद संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, “भारत का संविधान एक सेकुलर देश की स्थापना करता है, जिसमें देश के सभी नागरिक आपसी भाईचारे के साथ रहें और जहां हर व्यक्ति की गरिमा की सुरक्षा की जाए.” देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा, “हमारे संविधान का आर्टिकल 51A कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच का विकास करना चाहिए, लेकिन धर्म के नाम पर हम कहां आ गए हैं? ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.” जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस केएम जोसेफ की खंडपीठ ने ये सभी बातें देश में मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के मामले में फौरन दखल देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को आदेश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में हेट क्राइम यानी नफरत पर आधारित अपराधों में शामिल होने वालों के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अदालत में पेश करें. कोर्ट ने कहा कि एकता और अखंडता भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शामिल निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा हैं. देश में भाईचारा बनाए रखने के लिए अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों का आपस में मिल-जुलकर रहना जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, याचिकाकर्ता ने इस बात का जिक्र किया है कि किस तरह तमाम दंडात्मक प्रावधानों की मौजूदगी के बावजूद नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और संविधान के सिद्धांतों पर अमल करना जरूरी है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान के मुताबिक कानून का राज कायम रखना और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना इस अदालत का कर्तव्य है. बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रशासन ने इस बेहद गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करने में जरा भी देर की, तो इसे अदालत के आदेश की अवमानना मानकर कार्रवाई की जाएगी.