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राज्य को अभूतपूर्व क्षति – नही रहे चिपको आन्दोलन के प्रेरणास्रोत सुन्दरलाल बहुगुणा, पीएम ने जताया शोक

एम्स ऋषिकेश में भर्ती पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा (94 वर्षीय) का शुक्रवार दोपहर 12 बजे निधन हो गया। सुंदर लाल बहुगुणा कोविड संकमित थे। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में भर्ती 94 वर्षीय पर्यावरणविद सुंदलाल बहुगुणा को कोविड निमोनिया हुआ था।

चिकित्सकों के अनुसार उन्हें सिपेप सपोर्ट पर रखा गया था। कल उनका ऑक्सीजन सेचूरेशन लेवल 86 फीसदी पर आ गया था। एम्स में चिकित्सक उनके ब्लड शुगर लेवल और ऑक्सीजन लेवल को मेंटेन करने में जुटे थे। बहुगुणा मधुमेह की बीमारी से भी पीढ़ित थे। अभी एम्स ने इस मामले में कोई बुलेटिन जारी नहीं किया है।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर लगातार अपना कहर दिखा रही है. एक के बाद एक कई बुरी खबरें सामने रही हैं. शुक्रवार को मशहूर पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का कोरोना के कारण निधन हो गया. वह कोरोना पॉजिटिव थे और उनका इलाज ऋषिकेश एम्स में किया जा रहा था.

मशहूर चिपको आंदोलन के प्रणेता रहे सुंदरलाल बहुगुणा को 8 मई को हीचिपको आंदोलन के प्रणेता रहे
महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाले सुंदरलाल बहुगुणा ने 70 के दशक में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया, जिसने पूरे देश में अपना एक व्यापक असर छोड़ा. इसी दौरान शुरू हुआ चिपको आंदोलन भी इसी प्रेरणा से शुरू किया गया अभियान था.

तब गढ़वाल हिमालय में पेड़ों की कटाई के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाया गया. मार्च 1974 को कटाई के विरोध में स्थानीय महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गईं, दुनिया ने इसे चिपको आंदोलन के नाम से जाना. सिंह रावत ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन

चिपको आंदोलन के प्रणेता रहे
महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाले सुंदरलाल बहुगुणा ने 70 के दशक में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर अभियान चलाया, जिसने पूरे देश में अपना एक व्यापक असर छोड़ा. इसी दौरान शुरू हुआ चिपको आंदोलन भी इसी प्रेरणा से शुरू किया गया अभियान था.

तब गढ़वाल हिमालय में पेड़ों की कटाई के विरोध में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाया गया. मार्च 1974 को कटाई के विरोध में स्थानीय महिलाएं पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गईं, दुनिया ने इसे चिपको आंदोलन के नाम से जाना.

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