देहरादून – उत्तराखंड न्यूज़ एक्सप्रेस – टपकेश्वर मंदिर में जलाभिषेक के साथ चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत काफी सक्रीय नज़र आ रहें हैं. जहाँ उन्होंने अपने 2022 के चुनावी अभियान का बिगुल फूंक दिया है वहीँ सोशल मीडिया पर काफी मार्मिक पोस्ट लिखा है. जिसमे उन्होंने केदारनाथ त्रासदी को याद करते हुए इस देवीय आपदा के नायकों के नाम उजागर किये हैं. आइये पढतें है की पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्या लिखा है.
हर मुख्यमंत्री के कार्यकाल में कुछ नायक, कुछ खलनायक चर्चा में आते रहे हैं। खलनायकों को विस्मृत कर देना पड़ता है, भूल जाना पड़ता है, मगर नायकों को भविष्य के लिये याद करना चाहिए। मैं केदार आपदा के समय में हुई क्षति के पुनर्निमाण और पुनर्वास में जिन लोगों का सहयोग मिला उनको नहीं भूल सकता। ऐसे एक सहयोग देने वाले तत्कालीन जिलाधिकारी_रुद्रप्रयाग, तत्कालीन एस.पी.रुद्रप्रयाग, तत्कालीन एस.डी.एम. केदारनाथ क्षेत्र, पी.डब्ल्यू.डी. के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, उस समय के दोनों मुख्य सचिवगण, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, उस समय के दोनों राजस्व सचिव, तत्कालीन डी.आई.जी. गढ़वाल, विधि सचिव, आपदा सचिव, बिजली-पानी, खाद्य सामग्री से जुड़े हुये अधिकारीगण, अन्य सचिवगणों का बहुत बड़ा योगदान है।
केदारनाथ में विषम परिस्थितियों में काम करने के लिए विशिष्ट प्रकार के श्रमिकों की आवश्यकता थी और इसलिये हमने तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ़ माउंटेनरिंग उत्तरकाशी (नीम) के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल जी को यह कार्य कांटैक्ट के आधार पर सौंपा और तत्कालीन पत्रकार व आज के विधायक मनोज रावत जी जिन्होंने “केदार हिटो” का नारा दिया, उस समय की स्थानीय विधायक शैलारानी जी, विस्तृत आपदाग्रस्त क्षेत्र में निर्माण कार्यों के संचालन के लिये एस.डी.एम. की अध्यक्षता में बनाई गई समिति जिनमें निर्माण कार्यों के सभी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर्स सम्मिलित हैं उनके मार्गदर्शन करने वाले विधायकगण, जिला अधिकारीगण भी आपदा कालीन नायक हैं और क्योंकि इन लोगों ने 1 साल के अंदर आपदा ग्रस्त क्षेत्र के पुनर्निर्माण और पुनर्वास में अभूतपूर्व काम किया।
हमारे मंत्रिमंडल के सहयोगी जिन्होंने घंटो-घंटो मंत्रिमंडल की बैठक में बैठकर निर्माण कार्यों व दूसरे कार्यों को स्वीकृति और मार्गदर्शन प्रदान किया। ये सब लोग हिमालयी सुनामी के दौरान उनके द्वारा दिये गये सहयोग के लिए अभिनंदन के पात्र हैं। यह एक सामूहिक प्रयास था, जिसने चमत्कारिक रूप में सवा डेढ़ साल में न केवल बर्बादी के घाव को मिटा दिया, बल्कि हर प्रभावित व्यक्ति को भी आर्थिक सहायता में सम्मिलित कर उन्हें पुनर्वासित करने में बड़ा सहयोग दिया। मेरा मन इन सभी साथियों के लिए कृतज्ञता से भरा हुआ है, इनमें से बहुत सारे लोग आज मेरे विरोध में हैं, लेकिन इनका योगदान मेरा विरोध करने के कारण कम नहीं हो जाता है। इसलिये मैंने कहा जो नायकों को भूल जाते हैं, मैंने कई लोगों के अवगुण नहीं देखे क्योंकि मुझे उस समय उनमें विद्यमान गुण का उपयोग करना था और मैंने उसके लिये अवगुणों की तरफ आंख मूंद ली और उनके गुणों का लाभ उठाया। उसी का नतीजा था, बहुत सारे नियम और उपनियम जो सारी बातें बहुत सरलता से संशोधित और कोई भी प्रभावित वर्ग या परिवार राजकीय सहायता से अछूता नहीं रहा।
आज जब मैं केदारनाथ की यात्रा को व्यवस्थित स्वरूप में देखता हूंँ तो मेरे आंखों से कई चित्र गुजरते हैं और मेरा मन उन सबके प्रति इनके योगदान से यह सब संभव हुआ, श्रद्धा से झुक जाता है। मेरे ये भाव दिल की गहराई से निकले हैं। केदारनाथ_पुरी का पुनर्निर्माण व सुरक्षा और आपदा से क्षतिग्रस्त क्षेत्रों का पुनर्निर्माण व सुरक्षा ही मेरे जीवन की एक बड़ी निधि है। मैं जहां इस कार्य के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के लिए भगवान_केदारनाथ व भगवान_बद्रीश जी के चरणों में मैं नतमस्तक हूँ, वहीं सोनिया_गांधी जी के सामने मस्तक उठाकर कहने लायक बना हूँ कि आपने मुझमें विश्वास जताया था और इस महति कार्य को सौंपा था, मैं उसको सफलतापूर्वक पूरा कर सका। केदार व आपदा पुनर्निर्माण पर मैं आगे भी कुछ आपके साथ साझा करूंगा।