Headline
शबाना आजमी ने कंगना रनौत को थप्पड़ मारे जाने पर रिएक्शन दिया, कहा- “मैं इस मुद्दे पर…”
नशे में धुत रवीना टंडन पर बुजुर्ग महिला को पीटने का आरोप, वीडियो वायरल
अरविंद केजरीवाल ने किया तिहाड़ जेल में सरेंडर, समर्थकों के लिए भेजा संदेश ।
आखिर क्यों पहुंचे राहुल गांधी सिद्धू मूसेवाला के घर ?
‘राफा पर सभी की निगाहें’ नामक तस्वीर हो रही है सोशल मीडिया पर वायरल। आखिर क्या है इसका मतलब जानिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मुजरा’ बयान ने विवाद उत्पन्न किया है, ‘चिंतित’ विपक्ष ने कहा ‘शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले’।
जनसभा में बोले पीएम मोदी ” शहजादों का शटर गिरने वाला है, बंद होने वाली है दुकाने”
पीएम मोदी के कार्यक्रम में किच्छा के युवक को किया गया नोमिनेट
सुप्रीम कोर्ट की फटकार : हरक सिंह रावत और किशन चंद को कॉर्बेट नेश्नल पार्क मामले में नोटिस

स्कूल खोलने में फंसा पेंच, हाईकोर्ट में हुई आज सुनवाई, सरकार को दिया 17 अगस्त तक का समय

नैनीताल – प्रदेश में स्कूल खुल चुकें है तथा वहीँ दूसरी तरफ दुनिया का काफी देशों में कोरोना अभी भी तबाही मचा रहा है. ऐसे में जहाँ इस महामारी की तीसरी लहर आने की पूरी सम्भावना जताई जा रही है, इस माहौल में स्कूल खोलना कहाँ तक जायज़ है इस बात को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई.

इस दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को 17 अगस्त तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, अब इस मामले में 18 अगस्त को सुनवाई होगी।

बता दें कि राज्य में बीती दो अगस्त से कक्षा नौ से 12वीं तक के स्कूल खुल गए हैं। इससे पहले ही नैनीताल हाईकोर्ट में कैबिनेट के निर्णय के विरुद्ध जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका 29 जुलाई को दाखिल की गई, जबकि सरकार ने 31 जुलाई को एसओपी जारी की थी।

हरिद्वार निवासी विजय पाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार ने आधी-अधूरी तैयारी व बिना प्लानिंग के कोविड काल में स्कूल खोल दिए हैं। याचिका में कहा कि विशेषज्ञों ने कोविड की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की संभावना जताई है और तमाम अभिभावक भी आशंकित हैं।

शिक्षा मंत्री – अरविन्द पाण्डेय 2 अगस्त से नौवी से बारहवी तक के स्कूल खोलने का आदेश दिया अगया था

कहा कि राज्य में वयस्कों के लिए ही स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है। बच्चों के लिए तो सुविधाओं का और भी बुरा हाल है। ऐसे में सरकार के स्कूल खोलने के निर्णय से बच्चों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद कमी है। यदि बच्चे संक्रमित हो गए तो स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के साथ अभिभावकों की कमजोर माली हालत से भी स्थितियां बिगड़ेंगी। याचिकाकर्ता ने सरकार के निर्णय पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की थी।

कक्षा नौ से 12वीं तक के बच्चों के लिए सरकार ने स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है। फिलहाल अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। इसके चलते स्कूल खुलने के दूसरे दिन भी बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से कम रही।

देहरादून जिले के 223 स्कूलों में 34621 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इनमें से दूसरे दिन कुल 14897 छात्र स्कूल में उपस्थित रहे। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्कूल न आने वाले बच्चों के लिए ऑनलाइन व्यवस्था पर पढ़ाई कराने के निर्देश दिए गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top