देहरादून – उत्तराखंड न्यूज़ एक्सप्रेस
आजकल एक कोल्डवार सोशल मीडिया पर देखने को मिल रही है जिसमे एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री है तथा दूसरी तरफ सत्तापक्ष की कैबिनेट मिनिस्टर. उत्तराखंडीयत को लेकर शुरू हुई इस जुबानी जंग में कुछ आरोप है कुछ प्रत्यारोप है, कुछ सवाल है कुछ जवाब हैं.
जैसे जैसे उत्तराखंड की विधानसभा चुनावों की तारिख नज़दीक आती जा रही है वैसे वैसे तमाम नेता सक्रीय मोड में आ चुकें है. 70 सीटों के इस महायुद्ध में पिछली बार भाजपा से पटखनी खाने के बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति में काफी बदलाव किया है. जहाँ पिछला दंगल उसने एक पहलवान के भरोसे लड़ा था वहीँ इस बार अखाड़े में चार पहलवान उतारकर दंगल जीतने की भरपूर कोशिश है. वहीँ दूसरी तरफ भाजपा के तेज़ तर्रार नेत्री तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या यूं तो आजकल मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट वितरण में व्यस्त है लेकिन अपनी व्यस्तता के बीच भी वो दो-दो हाथ करने से परहेज़ नहीं कर रही है.
आपको बतातें चलें की पूर्व सीएम हरीश रावत सोशल मीडिया पर काफी मुखर रहतें है तथा पिछले दिनों देहरादून के टपकेश्वर मंदिर में जलाभिषेक करके उन्होंने 2022 की पारी खेलने के लिए मैदान में उतरने का ऐलान भी कर दिया था. उत्तराखंड एवम उत्तराखंडीयत को लेकर हरीश रावत एवम रेखा आर्या के बीच जुबानी जंग चल रही है.
मामले की असल शुरुआत कहाँ से हुई इसका तो पता नही लग पाया लेकिन दोनों के अकाउंट खंगालने पर पता चलता है की इस पिछले दिनों तीलू रौतेली पुरूस्कार का वितरण समारोह आयोजित किया गया जिसमे विभिन्न कार्यक्षेत्र की महिलाओं को उनके कार्य की प्रशंसा करते हुए पुरूस्कार गया.
पूर्व सीएम हरीश ने इस समारोह को आड़े हाथों लेते हुए कहा की “एक तरफ आपने कुछ हमारी बेटियों व बहनों को पुरस्कृत किया और दूसरी तरफ हजारों बेटी व बहनों से आपने उनका काम छीन लिया! उनको हतोत्साहित कर दिया! एक मोमेंटम बनाकर, आर्थिक सशक्तिकरण की आवश्यकता है। यह कार्यक्रम किसने किया शुरू किया यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि ये कार्यक्रम महिलाओं के लिए वरदान सिद्ध हो रहा था, आपने उस वरदान को उनसे छीनने का काम किया है। याद रखिएगा चाहे कदम किसने उठाया हो, अनंतोगत्वा दोष तो मुख्यमंत्री के ही सर पर ही आता है इस टेंडर को यदि स्वीकृत भी कर दिया गया है तो इसे रद्द किया जाना चाहिये। “
तीलू रौतेली पुरूस्कार समारोह में मंत्री रेखा आर्या भी शामिल थी तो उन्होंने इसका जवाब हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर ही इलज़ाम लगा डाला, वही एक तस्वीर भी साझा की जिसमे एक महिला तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के पैरो में पड़ी गिडगिडा रही है. रेखा आर्या ने लिखा की “दाज्यू बुरा मत मानना लेकिन इस प्रदेश की हजारों नहीं बल्कि लाखों महिलाओं के सपने तो आपने बर्बाद किये मुख्यमंत्री बनकर । जहा तक T.H.R का सवाल है यह केंद्र पोषित योजना है, इसमें केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के क्रम में T.H.R की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु T.H.R में कच्चे राशन के वितरण को प्रतिबंधित करते हुए माइक्रो न्यूट्रिएंट् फोर्टिफाइड ( विटामिन एवं मिनरल युक्त) पोषण आहार को लैब से टेस्टिंग करवाकर वितरण किया जाना अनिवार्य कर दिया है।”
दाज्यू आप टेंडर सुनते ही बोल जाते हो क्योंकि इसमें दोष आपका नहीं आपके पूर्व के क्रियाकलापों का है, आपका मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल राज्य सेवा के बजाय टेन्डर दिलाने में ही व्यतीत हुआ, आपकी इस उम्र में स्मरण शक्ति शून्य हो गयी है ऐसा कई बार प्रतीत हुआ है,इसलिए हर बार आपको मुझे आपकी पोस्ट से जुड़े हुए कारनामे याद दिलाने पड़ते हैं। आज आपको टेंडर से जुड़े आप के कार्यकाल के टेंडर की याद दिला रही हूँ,
और एक बात आपने कही है कि यह 2022 का चुनाव आपका आखिरी चुनाव होगा लेकिन आपका 2022 का नही 2017 का चुनाव ही आखिरी चुनाव था जब जनता ने आपको पूर्ण रूप से आराम करने के लिए सेवानिवृत्त कर दिया था।
इस आरोप-प्रत्यारोप के बाद जुबानी जंग थोड़ी और जटिल हो गयी जब हरीश रावत ने इशारों इशारों में बकरियां शब्द का इस्तेमाल किया और खुद को सेवानिवृत्त दाज्यू का जवाब देते हुए कहा की “जब-जब उत्तराखंडियत पर आक्रमण होगा, किसान और दलित के हितों पर चोट पहुंचेगी, महिलाओं का निवाला छीना जाएगा, नौजवानों से रोजगार छीना जाएगा, हरीश_रावत श्मशान से भी आकर के खड़ा हो जाएगा।”
अब इसके बाद कैबिनेट मिनिस्टर भी कहा पीछे ठहरने वाली थी, उज़्याड़ू बल्द और बकरियाँ की परिभाषा देते हुए कहा की “दाज्यू उज़्याड़ू बल्द और बकरियाँ तो एक बार #आवाज से वापस भी आ जाते हैं लेकिन हमारे वहां एक और #खतरनाक बल्द होता है जिसे कहते हैं “मारखूली / मुनठेपी बल्द” ये बल्द अपने आसपास किसी को फटकने नहीं देता और हमेशा खुद का ही पेट भरने में रहता है जिस की प्रवृत्ति से हार कर सभी उसके इर्द-गिर्द से दूर हो जाते हैं,और अंत में वह अकेला ही रह जाता है। वही स्थिति अब आपकी भी हो रही है क्या करें दाज्यू आपकी आदत तो रही है *सबको परेशान करो राज करो* उसी की परिणित रही है कि आप आज अकेले ही चलने को मजबूर हो।”
“दाज्यू आपने एक बात और कही कि जब-जब उत्तराखंडियत पर चोट होगी आप शमशान से भी आकर खड़े हो जाओगे, अब जब उत्तराखंडियत की नही #मुख्यमंत्री पद की बात होती है तब-तब आप जवान हो जाते हो और जब-जब आप जवान होने की कोशिश करते हो तब-तब आप की पार्टी के ही नेता जो आपके टॉप 10 के खास थे वह कह देते हैं कि अब कांपते हाथ सत्ता नहीं संभाल सकते,दाज्यू ये आपकी पार्टी के लोग आपका ऐसा उपहास करते है जिससे हमें भी तकलीफ होती है।”
बातों ही बातों में एक सवाल उठाते हुए रेखा आर्या ने कहा की “दाज्यू आज आप उत्तराखंडियत, महिलाओं,नौजवानों की बात कर रहे हो लेकिन जिस दिन रामपुर तिराहा,मंसूरी, खटीमा जैसे शर्मनाक गोली कांड हुए उस दिन आपके भीतर का उत्तराखंडियत क्यों अवतरित नहीं हुआ होगा यह प्रश्न हमेशा चिंताजनक है?”
वहीँ इसका जवाब दूसरी तरफ से आया, हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में लिखा की मैंने हजारों नहीं, 1 लाख, 37 हजार लोगों को जो वर्षों से #जमीनों पर कब्जेदार थे, दो-दो, तीन-तीन पीढ़ियों से भी कर्जदार हैं जिसमें ज्यादातर लोग दलित और पिछड़े वर्ग के हैं, कुछ किसान वर्ग के लोग भी हैं। जमीनों के वर्गीकरणों को समेट करके उनको जमीनों पर #मालिकाना हक दिया। यदि यह भू-माफिया को प्रश्रय देना है तो हरीश रावत दोषी है। हां कुछ लोगों ने #भीमताल से लेकर के किच्छा तक लोगों की जमीनों का उलट-पुलट किया है जिसकी इस पूरी श्रृंखला, एक निर्भीक समाचार पत्र The Sunday Post में छपी है।
अब देखना यह होगा की सोशल मीडिया पर चल रही यह जंग आखिर कौनसा मोड़ लेती है लेकिन यह तय है की जहाँ पिछली बार 57 सीटें जीतकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण भाजपा का लक्ष्य इस बार 60 पार करने का है वहीँ पांच बार के एमपी तथा पूर्व सीएम ने जतला दिया है की भाजपा के लिए यह लड़ाई आसान नहीं होने वाली है.