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अब पक्के मकान का सपना हुआ और कठिन।

महंगाई की मिसाइल राडार की पकड़ से काफी दूर निकल चुकी है। पेट्रोल शतक लगाकर क्रीज़ पर नाबाद है और डीजल के साथ अच्छी साझेदारी निभा रही है। और इसके साथ साथ प्रदेश में सीमेंट सरिया के बाद अब ईट के दामों में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण निम्न वर्गीय परिवार के लिए पक्के मकान का सपना बहुत पीछे छुटती नज़र आ रही है। और मध्यम वर्गीय परिवार का संघर्ष दोगुना होता दिख रहा है। वही ईट खरीदने के लिए प्रति ट्रक लगभग साढ़े तीन हजार रूपए अधिक व्यय करना होगा।

गौरतलब है की सरिया और रेत की कीमतों में पहले ही इजाफ़ा हो चुका है। उसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर प्रदेश में जी.एस.टी विभाग ने ईट पर टैक्स बढ़ा दिया है। अब 5 फ़ीसदी की जगह 12 फ़ीसदी टैक्स देना होगा और निर्माताओं के लिए समाधान स्कीम को भी सरकार द्वारा खत्म कर दिया गया है। ऐसे में पक्के घर का सपना मध्यम ओर निम्न वर्गीय परिवार के लिए सपना ही प्रतीत हो रहा है। कोरोना के बाद से तमाम घरो की आर्थिक स्थिति दयनीय चल रही थी उसमे महंगाई की मार दो धारी तलवार की तरह प्रहार कर रही है।

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