Headline
पीएम मोदी के कार्यक्रम में किच्छा के युवक को किया गया नोमिनेट
सुप्रीम कोर्ट की फटकार : हरक सिंह रावत और किशन चंद को कॉर्बेट नेश्नल पार्क मामले में नोटिस
उत्तराखंड के ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में CM धामी ने किया छठवें वैश्विक आपदा प्रबंधन सम्मेलन का शुभारम्भ
उत्तराखंड में निर्माणाधीन टनल धंसने से बड़ा हादसा, सुरंग में 30 से 35 लोगों के फंसे होने की आशंका, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
मशहूर टूरिस्ट स्पॉट पर हादसा, अचानक टूट गया कांच का ब्रिज, 30 फीट नीचे गिरकर पर्यटक की मौत
81000 सैलरी की बिना परीक्षा मिल रही है नौकरी! 12वीं पास तुरंत करें आवेदन
देश के सबसे शिक्षित राज्य में चपरासी की नौकरी के लिए कतार में लगे इंजीनियर, दे रहे साइकिल चलाने का टेस्ट
Uttarakhand: पहली बार घर-घर किया गया विशेष सर्वे, प्रदेश से दो लाख मतदाता गायब, नोटिस जारी
Uttarakhand: धामी सरकार का एलान, राज्य स्थापना दिवस तक हर व्यक्ति को मिलेगा आयुष्मान कवच

लॉकडाउन ने छीना रोजगार, अब उत्तराखंड के गांवों में लौट रहे हजारों लोग

कोविड संक्रमण की वजह से लगाए गए लॉकडाउन का दंश ऐसा है कि लोग उससे उबर नहीं पा रहे हैं. उत्तराखंड के कई गांवों में हजारों लोग सिर्फ इसलिए लौट आए हैं, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनकी बेहतर जीवन की उम्मीद टूट गई है. इनमें से अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनके पास रोजगार के अवसरों की कमी थी, लिहाजा उनके पास आजीविका कमाने के लिए फिर से घर छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. पहले घर से पलायन किया तो दूसरे शहरों में जाकर बस गए, लेकिन अब फिर से अपने गांवों का रुख करने के लिए मजबूर हैं.

एजेंसी के मुताबिक ग्रामीण विकास और प्रवासन रोकथाम आयोग के उपाध्यक्ष एस एस नेगी ने कहा कि जो लोग यहां से पलायन कर गए थे, उनमें से सिर्फ 5-10 प्रतिशत लोग ही वापस आए हैं. इसमें ज्यादातर ऐसे लोगों हैं, जिनके पास शहरों में नौकरी नहीं थी.

नेगी ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अपने गांवों में रह गए लोगों को काम और सम्मान का जीवन देना सबसे बड़ी चुनौती थी. उन्होंने कहा कि पर्यटन जैसे क्षेत्र को बढ़ावा देना पलायन पर ब्रेक लगाने का एकमात्र तरीका है, क्योंकि पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण संभव नहीं है.

नेगी ने बताया कि सीमावर्ती राज्य के कम से कम 1,702 गांव निर्जन हो गए हैं, क्योंकि यहां के लोगों ने नौकरी और बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की तलाश में शहरी क्षेत्रों में पलायन किया है. पौड़ी और अल्मोड़ा जिले पलायन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांवों से कुल 1.18 लाख लोग पलायन कर चुके हैं.

दरअसल, उत्तराखंड ने 9 नवंबर को अपनी स्थापना की 22वीं वर्षगांठ मनाई थी. उत्तराखंड के कई गांव प्रवासन की जटिल समस्या से जूझ रहे हैं. पहले लोग मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में पलायन करते थे, लेकिन हाल के वर्षों में लोग गांवों से आसपास के शहरों में जा रहे हैं. हम हरिद्वार के गांवों का दौरा कर रहे हैं. हमने ये पाया है कि लोग राज्य से बाहर नहीं जा रहे हैं, बल्कि जिले के विभिन्न शहरों में जा रहे हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top