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Uttarakhand: 3 लाख पर्वतीय महिलाओं को होगा इस योजना का लाभ, मिलेगा घास के बोझ से छुटकारा

सरकार द्वारा पर्वतीय क्षेत्र की महिलाएं जो सर पर घास रखकर कई किलोमीटर तक संघर्ष करती है, उनके लिए यह अच्छी खबर है कि मुख्यमंत्री घस्यरी कल्याण योजना में प्रदेश के 11 पर्वतीय जिले शामिल कर लिए गए हैं यानि पहाड़ की 30 हजार महिलाओं को इस बोझ से छुटकारा मिलेगा।

सरकार की इस योजना से महिलाओं को 4 जिलों में बड़ी राहत मिली, लिहाजा योजना के विस्तार के लिए सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने राज्य में स्तिथ सभी पर्वतीय जिलों को इसमें शामिल करने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। मंत्री धन सिंह रावत के मुताबिक अब योजना में 4 जिलों के अलावा पर्वतीय जिलों के साथ-साथ देहरादून व नैनीताल के पर्वतीय विकास खंडों को भी सम्मिलित किया गया है।
उन्होंने कहा कि करीब 30 हजार महिलाएं इन जिलों में प्रतिदिन पशुओं के लिए खास कार्य का बोझ ढोते हैं तो अब यह योजना से उनका बोझ हल्का कर सरकार उनकी मदद करेगी। अब उन्हें इस योजना के अंतर्गत गांव में ही पैक्ड़ साइलेज सुरक्षित हरा चारा और संपूर्ण मिश्रित आहार उपलब्ध होगा जिस कारण उन्हें बिना किसी भारी मेहनत के ही चारा व आहार गांव में ही सम्पूर्ण मात्रा में उपलब्द करवाया जायेगा।
अब तक 4 जिलों में चल रही इस योजना का विस्तार कर 11 जिलों को इस योजना के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है। इस योजना के अंतर्गत पशुओं के लिए साइलेज का वितरण किया जा रहा था, जिससे महिलाओं को गाँव में ही चारा पर्याप्त मात्र में नहीं मिल पारा था जिस कारण उन्हें दूर से बोझ उठाना पड़ता था। सरकार ने पिछले साल 30 अक्टूबर को मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत 4 जिले पौड़ी, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और चंपावत में 62 बहुद्देशीय प्रारंभिक कृषि ऋण समितियों के माध्यम से 75 प्रतिशत अनुदान पर पशुओं के लिए साइलेज चारा वितरित किया जा रहा है।

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