Headline
शबाना आजमी ने कंगना रनौत को थप्पड़ मारे जाने पर रिएक्शन दिया, कहा- “मैं इस मुद्दे पर…”
नशे में धुत रवीना टंडन पर बुजुर्ग महिला को पीटने का आरोप, वीडियो वायरल
अरविंद केजरीवाल ने किया तिहाड़ जेल में सरेंडर, समर्थकों के लिए भेजा संदेश ।
आखिर क्यों पहुंचे राहुल गांधी सिद्धू मूसेवाला के घर ?
‘राफा पर सभी की निगाहें’ नामक तस्वीर हो रही है सोशल मीडिया पर वायरल। आखिर क्या है इसका मतलब जानिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मुजरा’ बयान ने विवाद उत्पन्न किया है, ‘चिंतित’ विपक्ष ने कहा ‘शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले’।
जनसभा में बोले पीएम मोदी ” शहजादों का शटर गिरने वाला है, बंद होने वाली है दुकाने”
पीएम मोदी के कार्यक्रम में किच्छा के युवक को किया गया नोमिनेट
सुप्रीम कोर्ट की फटकार : हरक सिंह रावत और किशन चंद को कॉर्बेट नेश्नल पार्क मामले में नोटिस

तृप्ति भट्ट: पहाड़ के साधारण परिवार की बेटी, ISRO की जॉब छोड़कर बनी IPS अफसर

अल्मोड़ा: उत्तराखंड की प्रतिभाशाली बेटियां विपरीत परिस्थितियों में भी मेहनत के दम पर बड़ा मुकाम हासिल कर रही हैं।इसका सबसे बड़ा उदाहरण आईपीएस अफसर तृप्ति भट्ट हैं। जो कि पहाड़ के साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। मूलरूप से अल्मोड़ा जिले की रहने वाली तृप्ति भट्ट साल 2013 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। वर्तमान में वह देहरादून में एसपी इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी के पद पर तैनात हैं। उनके पति भी भारतीय राजस्व सेवा में अधिकारी हैं। साधारण पहाड़ी परिवार से ताल्लुक रखने वाली आईपीएस तृप्ति भट्ट चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। वो बचपन से ही सिविल सेवा में जाने का सपना देखती थीं। इस सपने को पूरा करने के लिए तृप्ति ने इसरो में वैज्ञानिक बनने का प्रस्ताव तक ठुकरा दिया, इतना ही नहीं उन्हें कई बड़ी कंपनियों के ऑफर आए, लेकिन तृप्ति ने सिविल सेवा की राह चुनी। कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 165 वीं रैंक हासिल की।

आज आईपीएस तृप्ति भट्ट उन सभी बेटियों के लिए मिसाल बन गई हैं, जो जीवन में कुछ सार्थक करना चाहती हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान आईपीएस तृप्ति भट्ट पूरी तरह लोगों की सेवा में जुटी रहीं। उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें साल 2020 के प्रतिष्ठित स्कॉच अवार्ड से सम्मानित किया गया। उस वक्त तृप्ति भट्ट एसडीआरएफ उत्तराखंड की सेनानायक रही थीं। तब संपूर्ण लॉकडाउन और अनॅलाक प्रक्रिया के दौरान एसडीआरएफ ने छह लाख से अधिक प्रवासियों को अनेक राज्यों से सुरक्षित उत्तराखंड लाने में भूमिका निभाई। साथ ही 70 हजार से अधिक स्टेक होल्डर्स को प्रशिक्षण और कोविड से बचाव संबंधी जानकारी दी। इस अवार्ड की दौड़ में उन्हें देश में दूसरा स्थान मिला। आईपीएस तृप्ति भट्ट आज भी अपने मिशन में जुटी हैं, उनकी गिनती प्रदेश की तेजतर्रार महिला अफसरों में होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top