बागेश्वर: मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, यह फिट बैठती है बागेश्वर के प्रकाश गोस्वामी पर, जिन्होंने बिना किसी मदद और बिना सरकार के सपोर्ट के गांव तक सड़क पहुंचा दी है।
उनको अपने गांव तक सड़क पहुंचाने में 1 साल का वक्त लगा और वे रोजाना 5 घंटे कड़ी मेहनत करते थे। उसका परिणाम आज सबके सामने है।उन्होंने हार नहीं मानी। प्रकाश गोस्वामी के गांव तक सरकार सड़क नहीं पहुंचा पाई और कई बार बोलने के बावजूद प्रशासन ने सुध नहीं ली मगर प्रकाश ने हार नहीं मानी और जब सिस्टम में उनकी बात नहीं सुनी तो उन्होंने सिस्टम को भी आईना दिखाते हुए अकेले ही यह भार अपने सिर पर उठा लिया और सड़क बनाने में जुट गए। जिसके बाद वे प्रतिदिन 5 घंटे श्रमदान कर वह अपने गांव तक सड़क पहुंचाने में कामयाब रहे। इस कार्य में उन्हें एक साल का समय लगा। उनके इस सराहनीय कार्य की ग्रामीणों ने जमकर सराहना की है।
दरअसल बागेश्वर के प्रकाश गोस्वामी मुंबई में एक कारोबारी के घर नौकरी करते थे। कुछ समय पूर्व ही वह नौकरी छोड़कर जब गांव लौटे तो उन्होंने गांव में ही मेहनत मजदूरी करना शुरू कर दिया। इस दौरान गांव से प्राथमिक स्कूल कज्यूली एवं कोट मंदिर जाने के लिए संपर्क मार्ग ना होने के कारण ग्रामीणों और बच्चों को हो रही परेशानी को देखकर उन्हें काफी दुख हुआ। उन्होंने डंउगोली कज्यूली मोटर मार्ग को पनेल गांव से जोड़ने की मांग हेतु हर जगह हाथ पैर मार लिए। परंतु सिस्टम की कुर्सियों पर बैठे तमाम पदाधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी। मगर प्रकाश ने हार नहीं मानी और खुद ही गांव तक सड़क पहुंचाने की ठान ली। इसके लिए उन्होंने बीते वर्ष मार्च माह में काम शुरू किया और साल भर के बाद उन्होंने सड़क अपने गांव तक पहुंचा दी है जिसके बाद गांव में खुशी का माहौल पसर गया है।