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पहाड़ के दुर्गा का हौसला भी पहाड़ जैसा, नहीं मानी हार, हासिल किए 2 स्वर्ण पदक

इन चंद पंक्तियों को एक बार फिर सही साबित करते हुए राज्य के दिव्यांग युवा इन दिनों राज्य स्तरीय पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपनी काबिलियत का जलवा बिखेर रहे हैं। बीते दिनों आपको हमने ऐसे ही कुछ युवाओं की सफलताओं की खबरों से रूबरू कराया था। इसी कड़ी में आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही संघर्षशील एवं प्रतिभावान युवा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने इस प्रतियोगिता में दो स्वर्ण पदक हासिल कर अपने परिजनों के साथ ही अपने गांव और क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के रहने वाले दुर्गा दत्त रूवाली की। इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं समूचे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है।

देवभूमि दर्शन से खास बातचीत में दुर्गा दत्त रूवाली ने बताया कि वह मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लाक के हरीशताल क्षेत्र के ल्वाड़ डोबा गांव के रहने वाले हैं। बता दें कि एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले दुर्गा के माता पिता गांव में ही रहते हैं। उनके पिता त्रिलोचन जहां गांव में रहकर ही खेतीबाड़ी कर अपने परिवार का भरण पोषण करतें हैं वहीं उनकी मां राधा देवी भी घर गृहस्थी के कार्यों में व्यस्त रहती है।

बताते चलें कि राज्य स्तरीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 20 एवं 21 फरवरी को शानदार प्रदर्शन कर दो स्वर्ण पदक हासिल करने वाले दुर्गा वर्तमान में जहां रूद्रपुर स्टेडियम के एथलीट कोच हरीश राम से प्रशिक्षण ले रहे हैं वहीं वर्तमान में वह एमबीपीजी कालेज हल्द्वानी में एम•ए• प्रथम वर्ष के छात्र भी है। उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट तक की शिक्षा गांव के ही स्कूल से ही प्राप्त की है। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि से काफी खुश दुर्गा का कहना है कि भविष्य में वह अपने देश के लिए भी मेडल हासिल करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे बिल्कुल नहीं चाहते कि अपनी दिव्यांगता की कमजोरी के कारण वह लोगों की सहानुभूति हासिल करें बल्कि वह लोगों को यह बताना चाहते हैं कि उनके अंदर कमजोरी नहीं है। यह कमजोरी ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

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