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उत्तराखंड – तो इस बार कट सकता है कई विधायकों का टिकट, पार्टी करा रही सर्वे?

देहरादून– उत्तराखंड न्यूज़ एक्सप्रेस – 57 विधायकों के साथ चल रही भाजपा की उम्मीदें इस बार 60 पार करने की है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पार्टी एक्टिव मोड में आ चुकी है. वहीँ प्रधानमंत्री मोदी भी इस बार के उत्तराखंड चुनावों को लेकर ख़ासी दिलचस्पी दिखा रहें हैं. आपको बताते चलें की प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज ही अपने दिल्ली दौरे से लौटे हैं. जल्दी जल्दी उनके दिल्ली के दौरे लगने से अटकलों का बाज़ार काफी गर्म है.

आपको बताते चले की कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति में काफी परिवर्तन किया है जिसे लेकर भाजपा भी इस बार जनता का मूड भांपने की जद्दोजहद में जुट गयी है. कहा जा रहा है की विधायकों का आंकलन इस बार स्वम् पीएम मोदी कर रहें हैं. यह एक तरह का सर्वे है जो की नमो एप पर कराया जा रहा है.

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इस सर्वे की सबसे ख़ास बात यह है की इसमें क्षेत्र के 3 लोकप्रिय बीजेपी नेताओं के नाम भी पूछे जा रहें हैं, जो की वर्तमान विधयाकों के लिए काफी सिरदर्द दे सकता है. नमो एप के माध्यम से उत्तराखंड में भी सर्वे चल रहा है। इसके माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर जनता की राय ली जा रही है। इस सर्वे में भी राज्य सरकार के प्रदर्शन, विधायकों के कामकाज, सुशासन, कोविड प्रबंधन, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा, कानून व्यवस्था समेत कई मसलों पर राय के साथ ही सुझाव भी लिए जा रहे हैं।

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किस तरह के सवालों से निकलेगा निष्कर्ष ?

इस आंतरिक सर्वे में कुछ दिलचस्प सवाल भी पूछे जा रहें हैं जैसे की आपका पसंदीदा क्षेत्रीय बीजेपी नेता कौन है तथा क्या उसने पार्टी को दान या चंदा दिया है? क्या आप नेता की जाति देखकर वोट करेंगे या विकास के आधार पर. इन सवालों पर हालाँकि आपको लगे की ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन भाजपा इस बाद काफी फूंक फूंक के कदम रख रही है. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र को लेकर बारीकी से सर्वे का आंकलन हो रहा है. आइये देखते है और क्या क्या सवाल पूछे जा रहें हैं.

– आपका विधायक कौन है, क्या उसे दोबारा चुनेंगे?
– क्या उम्मीदवार की जाति, धर्म या उसके काम के रिकार्ड को वरीयता देंगे?
– विधायक चुनने में जाति, धर्म या विकास क्या आधार होना चाहिए?
– क्या व्यक्ति ने भाजपा के लिए कार्यकर्ता के रूप में काम किया है व पार्टी को दान या चंदा दिया है?
– राज्य और चुनाव क्षेत्र के तीन सबसे लोकप्रिय बीजेपी नेताओं के नाम पूछे गए। ये मुख्यमंत्री और विधायक के चेहरे की परख करने में मदद करेगा।
– क्या विधायक सुलभ हैं, उनके कार्यों से संतुष्ट हैं?
– विस में क्षेत्र में सार्वजनिक सेवाओं सड़क, बिजली, पेयजल कानून व्यवस्था, शिक्षा की स्थिति से कितने संतुष्ट हैं?
– क्या आपको लगता है कि विपक्षी एकता का आपके चुनाव क्षेत्र पर असर पड़ेगा?
– केंद्र राज्य में एक ही सरकार विकास में मददगार, से सहमत हैं?
– चार साल में राज्य सरकार की कार्यसंस्कृति में क्या सुधार हुआ?
– राज्य सरकार की किस योजना या पहल से आपको सबसे ज्यादा लाभ हुआ?
– स्वच्छ भारत, कानून व्यवस्था, शहरी विकास, अर्थव्यवस्था, ग्रामीण बिजली, किसान, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार के अवसर, सड़क पर भी राय मांगी गई है।

काफी वर्तमान विधायकों की होगी नींद ख़राब तथा नए उम्मीदवारों के खिलेंगे चेहरे ?

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इस सर्वे में सबसे अहम् बात यह है की क्षेत्र के वर्तमान विधायक को लेकर कुछ सवाल किये गए हैं जिन्हें विधायक के फीडबैक की तरह देखा जा रहा है. जैसे की “क्या विधायक सुलभ है”. क्या उसके कार्यों से संतुष्ट हैं. इस तरह के सवाल उन लोगो की नींद ख़राब करने के लिए काफी हैं जिन्होंने पिछले चुनावों में भाजपा से टिकट लेकर जीत तो दर्ज करा ली थी लेकिन विकास कार्यों के नाम पर उनका रिजल्ट सिफर रहा.  ऐसे में माना जा रहा है की पार्टी उन लोगो को भी मौका देना चाहेगी जो काफी वर्षों से कार्यकर्त्ता के तौर पर मेहनत कर रहे है लेकिन चुनाव लड़ने का सौभाग्य नही मिल पाया.

अब यह देखना मजेदार होगा की कितने वर्तमान विधायकों के टिकट काटे जातें है तथा कितने नए उम्मीदवारों पर बाज़ी लगायी जाती हैं. लेकिन कुछ सवाल यहाँ दीवार की की तरह खड़े हो जातें है की क्या पार्टी उन विधायकों के टिकट भी काटेगी जिनके बलबूते उसने 57 का आंकड़ा छुआ या फिर सर्वे का सिर्फ उन सीटें पर ही प्रभावी होगा जहाँ उसने हार का मुंह देखा था लेकिन एक बात साफ़ है की 13 पन्नो के इस सर्वे से पीएम मोदी यह पता लगाना चाहतें हैं की जनता का मूड आखिर क्या है ?. क्या जीतें हुए विधायक अभी भी जनता में लोकप्रिय हैं अथवा नही तथा विधायकों का कामकाज कैसा रहा ?

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